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भारत को शिखर पर पहुंचाने हेतु एकता की पहल आवश्यक...

18वी सदी का अंत व 19वी सदी का आरम्भ देश में पुनर्जागरण का रहा. भारत माता गुलामी की जंजीरों में जकड़ी हुई थी व घोर अंधकार पूरे देश में व्याप्त था. अनेक सामाजिक कुरीतियों ने देश में पैर पसार लिए थे तथा भारतीय अपने धर्म, संस्कृति और सभ्यता को लगभग भूल चुके थे. यह वह समय था जब देश पर  घनघोर काले बादल छाए थे आशा की कोई किरण दूर-दूर तक नहीं थी.                उस विपरीत समय पर भारत ने उठने के लिए कदम बढ़ाए और सामाजिक कुरीतियों तथा ब्रिटिश अत्याचारों से लड़ते हुए, देश को इस स्थिति से बाहर निकाला, यही काल इतिहास में भारतीय पुनर्जागरण के नाम से जाना जाता है. भारत को इस स्थिति से बाहर लाने में हमारे सामाजिक एवं धर्म सुधारकों की भूमिका अति महत्वपूर्ण थी, जिसमें प्रमुख थे राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद इत्यादि.               इन सुधार को ने विधवा विवाह,  बाल विवाह,  दलितों के अधिकारों, नारी शिक्षा की ओर विशेष धयान दिया जिसमे प्रमुख थे राजा राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर तो वही ठाकुर रामकृष्ण परमहंस,  स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती जैसे धर्म स