Posts

Showing posts from August, 2020

विश्व मैं मानव के डगमागते कदमों का एक मात्र सहारा आध्यात्म....

Image
            "जिसका प्रकार प्राण के बगैर शरीर निर्जीव है, उसी प्रकार धर्म,  अध्यात्म, आस्था,  भक्ति, योग व तत्वज्ञान के बगैर यह जगत अस्तित्वहीन है"        मौजूदा दौर में विश्व भर में मानव के पग  सत्य की विपरीत दिशा में काफी तीव्र गति से बड़े हैं,  इसके घातक परिणाम वर्तमान मैं परिलक्षित हो रहे हैं... ऐसे में बिना विलंब किए हुए सत्य के मार्ग पर पुनः लौटना अत्यंत आवश्यक है.. सत्य का बोध एवं सत्य के मार्ग की ओर अग्रसर करने वाला एकमात्र साधन अध्यात्म है...  हमारे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन क्या है, हमारा इस मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है इस बात की अनुभूती ही अध्यात्मिक व्यवहार और इश्वर को अनुभव करने का मार्ग है.          हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही ऋषि,  मुनियों, आचार्य व महान संतों ने सदैव इस बात का समर्थन किया की ... इस सत्य का ज्ञान अध्यात्म से होकर ही गुजरता है. जीवन के  वास्तविक ज्ञान की अनुभूति हेतु ऋषि मुनियों ने विभिन्न मार्ग बताएं जिनमें प्रमुख हैं योग, ध्यान, जप  हवन, यज्ञ, प्रार्थना इत्यादि....  योग माध्यम हैं परमात्मा से जुड़ने... योग मैं भी चार मार्ग ह

विश्व शांति हेतु यज्ञ की महत्वता....

Image
भारतीय दर्शनशास्त्र तथा धार्मिक ग्रंथो मैं यज्ञ की प्रक्रिया को विश्व मैं शांति स्थापित करने का प्रमुख साधन माना गया हैं...              यज्ञ एक प्रकार का एक विज्ञान हैं, जिस प्रकार अमुक स्वर -विन्यास से युक्त शब्दों की रचना करने से अनेक राग -रागनियां बजती हैं और उनका प्रभाव सुनने वालों पर विभिन्न प्रकार का होता है......उसी प्रकार यज्ञ के दौरान ब्रम्हांड की समस्त शक्तिओ का आवाहन  कर.. मंत्रउच्चारण के साथ उत्पन्न हुई विशिष्ट प्रकार की ध्वनि तरंगो का प्रभाव  विश्वव्यापी प्रकृति, सूक्ष्म जगत तथा प्राणियों के स्थूल और सूक्ष्म शरीरों पर पड़ता हैं... तथा ये शक्ति और ध्वनि आकाश मैं व्याप्त हो कर लोगों के अंतकरण को सात्विक एवं शुद्ध बनाती हैं...       ऋषियों ने "अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः" (अथर्ववेद 9.15.14) कहकर यज्ञ को संसार की सृष्टि का आधार बिंदु कहा है।    यज्ञ का एक प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृत्ति के लोगों का सत्य प्रयोजन तथा वैश्विक शांति स्थापित करने के लिए संगठित करना भी है. आज मानव अनेकों प्रकार से अशांत है, नकारात्मकता का वातावरण हर जगह व्याप्त है, इस प्रकार यज्ञ