विश्व मैं मानव के डगमागते कदमों का एक मात्र सहारा आध्यात्म....
"जिसका प्रकार प्राण के बगैर शरीर निर्जीव है, उसी प्रकार धर्म, अध्यात्म, आस्था, भक्ति, योग व तत्वज्ञान के बगैर यह जगत अस्तित्वहीन है" मौजूदा दौर में विश्व भर में मानव के पग सत्य की विपरीत दिशा में काफी तीव्र गति से बड़े हैं, इसके घातक परिणाम वर्तमान मैं परिलक्षित हो रहे हैं... ऐसे में बिना विलंब किए हुए सत्य के मार्ग पर पुनः लौटना अत्यंत आवश्यक है.. सत्य का बोध एवं सत्य के मार्ग की ओर अग्रसर करने वाला एकमात्र साधन अध्यात्म है... हमारे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से जीवन क्या है, हमारा इस मनुष्य जीवन का उद्देश्य क्या है इस बात की अनुभूती ही अध्यात्मिक व्यवहार और इश्वर को अनुभव करने का मार्ग है. हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही ऋषि, मुनियों, आचार्य व महान संतों ने सदैव इस बात का समर्थन किया की ... इस सत्य का ज्ञान अध्यात्म से होकर ही गुजरता है. जीवन के वास्तविक ज्ञान की अनुभूति हेतु ऋषि मुनियों ने विभिन्न मार्ग बताएं जिनमें प्रमुख हैं योग, ध्यान, जप हवन, यज्ञ, प्रार्थना इत्यादि.... योग माध्यम हैं परमात्मा से जुड़ने... योग मैं भी चार मार्ग ह