भावनायें
भावनायें क्या हैं, ये विचारों से कितना पृथक हैं, इनमें ऐसी कौनसी शक्ति हैं जो विचारों को शक्ति शाली बना मनुष्य को लक्ष्य बेधने की क्षमता प्रदान करती हैं। कहा गया हैं विचारों में अनंत शक्ति होती हैं, किन्तु मैंने अनुभव किया की विचार यदि भावना रहित हैं तो शून्य तुल्य हैं। सकारात्मक भावनायें - प्रार्थना, भक्ति, करुणा, प्रेम, संवेदना, क्षमा इत्यादि हैं। नकारात्मक भावनायें -क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष राग, मोह आसक्ति इत्यादि। मनुष्य के लिए यह विडंबना है की नकारात्मक भावनाओं को लाने के लिए मनुष्य को प्रयास नहीं करना होता। वह तो स्वतः इन भावनाओं में लिप्त हो हमें, समाज व सम्पूर्ण वातावरण को हानि पंहुचा रहें हैं। बल्कि प्रार्थना भक्ति जैसे भाव स्वतः ही प्रतेक मनुष्य में सरलता से नहीं मिलते, एवं जो इन्हें विकसित करना चाहते हैं उनके लिए अत्यंत दुष्कर हैं। भावना क्या हैं ? जब इस प्रश्न का उत्तर मैंने टटोलना चाहा तो पाया.... भावना कुछ और नहीं आत्मा की अचूक शक्ति है। चूकि मनुष्य आज अपने कई जन्मों के दूषित संस्करों के चलते आत्मा से अत्यधिक दूर जा चुका हैं। इसलिए उसके लिए आत्मा की पवित्रता सकारात