मन व उसके आयाम...
मन के बारे में हम अक्सर सुनते हैं की मन बड़ा चंचल है, स्थिर नहीं, इसमें ठहराव नहीं, इसे आराम नहीं... इस पल घर के विषय में विचार करता है तो दूसरे पल दुनिया का विचार, इसे एक स्थान या एक विचार पर रहना पसंद नहीं इसलिए इसे बंदरनुमा मन भी कहा जाता है। बंदरनुमा क्योंकि बंदर एक डाल पर इस पल और दूसरी डाल पर दूसरे पल होता है उसी प्रकार मनुष्य का मन भी कभी स्थिर नहीं रहता है। किसी भी व्यक्ति से जब हम बात करते हैं या फिर हम जब एकांत में स्वयं से ही बात करते हैं तो हमें यह ज्ञात भी नहीं कि अनेकों बार एक शब्द को प्रयोग में लाते हैं और वह शब्द है 'मन'। आज मेरा 'मन' कुछ चटपटा खाने का है, 'मन' बहुत दुखी है, 'मन' विचलित है 'मन'आज अत्यधिक प्रसन्न है इत्यादि इत्यादि । प्रत्येक व्यक्ति 'मन शब्द' को प्रयोग में लाता हैं, मनुष्य मन की शक्ति के प्रभाव में काम करता है परंतु इस बात से अनभिज्ञ है कि आखिरकार ये "मन है क्या"?? जब हम कहते हैं कि 'मन' आज मेरा अधिक सोने का हैl तो इस पर विचार करे की 'मेरा' सोने का मन हैं... 'मेरा