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मन व उसके आयाम...

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मन के बारे में हम अक्सर सुनते हैं की मन बड़ा चंचल है, स्थिर नहीं, इसमें ठहराव नहीं, इसे आराम नहीं... इस पल घर के विषय में विचार करता है तो दूसरे पल दुनिया का विचार, इसे एक स्थान या एक विचार पर रहना पसंद नहीं इसलिए इसे बंदरनुमा मन भी कहा जाता है। बंदरनुमा क्योंकि बंदर एक डाल पर इस पल और दूसरी डाल पर दूसरे पल होता है उसी प्रकार मनुष्य का मन भी कभी स्थिर नहीं रहता है। किसी भी व्यक्ति से जब हम बात करते हैं या फिर हम जब एकांत में स्वयं से ही बात करते हैं तो हमें यह ज्ञात भी नहीं कि अनेकों बार एक शब्द को प्रयोग में लाते हैं और वह शब्द है 'मन'। आज मेरा 'मन' कुछ चटपटा खाने का है, 'मन' बहुत दुखी है, 'मन' विचलित है 'मन'आज अत्यधिक प्रसन्न है इत्यादि इत्यादि । प्रत्येक व्यक्ति 'मन शब्द' को प्रयोग में लाता हैं, मनुष्य मन की शक्ति के प्रभाव में काम करता है परंतु इस बात से अनभिज्ञ है कि आखिरकार ये "मन है क्या"?? जब हम कहते हैं कि 'मन' आज मेरा अधिक सोने का हैl तो इस पर विचार करे की 'मेरा' सोने का मन हैं... 'मेरा&#

विचारों की शक्ति व उसके प्रभाव

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                                                                            विचार क्या है इस मायावी संसार में दो चीजों का अस्तित्व प्रत्यक्ष रूप से परिलक्षित होता है.... एक प्रकृति जो इस मायावी संसार में हर ओर अपनी छटा बिखेरी हुई हैं नदियों, झरनों, वनों, पर्वतों के रूप में..इसे ईश्वर की कृति कहे या ईश्वर ने स्वयं को प्रकृति के रूप में निरूपित किया है।    दूसरा यह भौतिक संसार जो मानव के मस्तिष्क में उठे विचारों का परिणाम है भौतिक संसार में निर्मित प्रत्येक छोटी से छोटी व बड़ी से बड़ी वस्तु जो इस भौतिक संसार को बनाने में योगदान देती है मानव के मस्तिष्क का ही परिणाम है... अर्थात विचार मानव के मस्तिष्क में उठने वाली वे तरंगे है जो अत्यधिक शक्तिशाली है एक व्यक्ति अपने मस्तिष्क में एक विचार लाता है यह विचार ही है जो कर्म का पूर्व गामी है, कर्म से आदत और आदत से संस्कार का निर्माण होता है यह संस्कार ही है जो किसी व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करते हैं, यदि विचार सांसारिक है तो व्यक्ति भौतिकवादी हो जाता है, यदि विचार आध्यात्मिक हो तो व्यक्ति तर जाता है.... विचारों की शक्ति अनंत है व