प्रार्थना
ईश्वर व मानव के मध्य की डोर जिस भक्ति पूर्ण संवाद से जुड़ी होती है वह 'प्रार्थना' कहलाती है, अर्थात ईश्वर व भक्त के बीच का संवाद प्रार्थना है। आध्यात्म एक मानसिक प्रक्रिया है उस परम तत्व, परम सत्य को प्राप्त करने की जो अदृश्य है एवं जिसकी खोज हेतु मानव आध्यात्मिक मार्ग का सहारा लेता है। मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा उसके पूर्व जन्मों के संस्कारों पर निर्भर करती है उसके यही संस्कार उसे असत्य से सत्य की ओर चलने हेतु मार्ग प्रशस्त करते हैं। या फिर जो व्यक्ति जीवन में अत्यधिक दुख, कष्ट व बार बार जीवन के अनेकों पढ़ाव पर ठोकर खाता है तो वह उन कारणों को गहराई से जानने का प्रयास करने लगता है कि मैं ही क्यों? मुझे ही इतना कष्ट क्यों? दुख क्यों? दुख क्या है? सुख क्या है??? इत्यादि इत्यादि। इन्हीं प्रश्नों -उत्तरों की खोजों उसे जाने-अनजाने आध्यात्मिक यात्रा की ओर ले जाती है। आध्यात्मिक यात्रा की और जो व्यक्ति दृढ़ता के साथ बढ़ता है तो उसे के समक्ष जो प्रथम कार्य होता है वह स्वयं का आत्म विश्लेषण करना , मनुष्य को स्वयं से ऊपर उठकर.. स्वयं के अस्तित्व से परे जा अहंकार पर विजय पानी होती