विचारों का प्रवाह
कभी आप ने सोचा है की सोशल मीडिया साइट पर आप को वही कन्टेट दिखाया जाता है जो आप देखना चाहते हैं। उदाहरण यू ट्यूब पर एक दो बार हम जिस प्रकार के विडिओ देखते हैं वैसा या उसे से सम्बंधित कंटेंट हमें परोसा जाने लगता हैं। जैसे आप कोई विशेष व्यक्ति या विषय से सम्बंधित न्यूज़ देखते है तो उसी प्रकार के विडिओ आप की साइट पर देखे जा सकते हैं । बच्चे कार्टून देखते हैं तो उसी प्रकार के विडिओ आने लगते हैं इत्यादि। यहाँ प्रक्रिया केबल यू ट्यूब पर नहीं बल्कि फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि आदि साइट्स पर भी देखने को मिलती हैं। या यूँ कहें की इन साइट्स ने हमारे मन-मस्तिष्क की प्रक्रिया को वर्ल्ड वाइड वेब पर अपनाया। अब आप सोचेंगे ये मैं क्या कह रही हूं। जी ये क्रिया मात्र सोशल साइट तक सिमित नहीं बल्कि विचार करें तो हमारा मन या मस्तिष्क ब्रह्माण्ड से वैसे ही विचार ग्रहण करता है जैसी हमारे सूक्ष्म शरीर की वासनायें होती हैं और यही विचार व्यक्ति का जीवन, चरित्र और आगे का रास्ता तय करते हैं। उदाहरण एक वैज्ञानिक की इच्छा के अनुरूप उस का मस्तिष्क काम करता है, ब्रह्माण्ड में उपस्थित वह विचार ग्रहण करता है और