चंद्रयान -3

23/8/23-शाम,6:04 मिनट पर जैसे ही भारत (इसरों ) के चंद्रयान -3 ने चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पैर जमाया, पूरा देश झूम उठा। सचमुच यह क्षण अद्धभुत, अविस्मरणीय, अद्वितीय और अभूतपूर्व रहा। यह वह पल रहा जिसका वर्णन ना केवल भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया बल्कि यह पुरे विश्व के लिए ऐतिहासिक और स्वर्णिम हो गया। स्वयं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा यह सफलता सिर्फ भारत की नहीं समस्त विश्व की हैं और सभी को यह सन्देश भी दिया की यह विकसित भारत का शांखनाथ हैं।

वास्तव में चंद्रयान 3 का चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव की सतह पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना न केबल भारत के लिए समूचे विश्व के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
चंद्रयान 3 की सफलता भारत की सोई और छूपी हुई शक्ति और ऊर्जा का उदघोत हैं। जी हम यहाँ उसी छूपी हुई शक्ति कि बात कर रहें जिसे भारत किन्ही कारणों से भूल चूका था। हमारी इक्षा शक्ति, संकल्प शक्ति व प्राचीन ऋषि मुनियों की वह ऊर्जा जहाँ उन्होंने ध्यान की गहराइयों में जा कर ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोला और बड़े ही बेहतर ठंग से वेदों, पुराणों और उपनिषद में लिपिबद्ध किया।

इसी अपनी खोई हुई ज्ञान शक्ति की ओर भारत शनै : शनै : बड़ चला है। उसी का परिणाम आज यह अभूतपूर्व सफलता हैं। गुलामी के हज़ारों वर्षों के घात और प्रहार के कारण यह शक्ति और ऊर्जा कहीं सुषुप्त और छिप अवश्य गई किन्तु विकसित भारत के शांखनाद ने यह साबित कर दिया की यह अभी लुप्त नहीं हुई।
इसमें कोई दौराय नहीं की यह सफलता हमारे वैज्ञानिक और नेतृत्व की दृण इक्षाशक्ति का परिणाम हैं, किन्तु यदि इसके आध्यात्मिक दृष्टिकोण को देखे तो इस ब्रह्माण्ड में हमारे ( पृथ्वी ) ग्रह के अतिरिक्त अन्य शक्तियां विभिन्न ग्रह , उल्का पिंड इत्यादि में बास करती हैं और ये शक्तियां हम से हज़ारों गुना श्रेष्ठ और आगे हैं, जिन्हें हम वैज्ञानिक भाषा में ऐलियन कहते है।

ऐसी ही कुछ अदृश्य शक्तियां चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर संभवता मौजूद हैं और वे नहीं चाहती की किसी भी प्रकार का बाहरी हस्तक्षेप उनके क्षेत्र में हो, यही कारण रहा की आज से पूर्व अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों ने यहाँ लैंडिंग के कई वर्षों से कई प्रयास किये किन्तु वे सफल नहीं हो सके और थक हार के उन्होंने इस ओर सोचना ही बंद किया।

किन्तु भारत ने वर्ष 2019 में चंद्रयान -2 के माध्यम से पहला प्रयास किया किन्तु इस दौरान वहां मौजूद शक्तियों का साथ ना मिलने के कारण हमें भी मुँह की खानी पड़ी। किन्तु इस बार हमारे हिमालय में विराजमान अदृश्य शक्तियां, देश के महान संत , गुरुओं और करोड़ो भारतीय की प्रार्थना के माध्यम से हमें उन शक्तियों ने आने का अवसर दिया और हमारा स्वागत किया। संकेत स्पष्ट है दरवाजे उन्ही के लिए खुले है जो देश साफ और शुद्ध हृदय के साथ विश्व व सृष्टि के कल्याण की सोच रखें और भारत को ईश्वर ने ऐसे ही देवीए गुणों से परिपूर्ण बनाया है।

तो दूसरी ओर यह सफलता हमारी सरकार और नेतृत्व की क्षमता और दृण इक्षाशक्ति को बखूबी दर्शाती हैं। यह बिलकुल उसी प्रकार से रहा जैसे अपोलो-11(1969) की सफलता से पूर्व अमरीका और नासा कई बार असफल हुए किन्तु नासा की टीम और अमेरिका के तात्कालिक राष्ट्रपति जॉन ऑफ केनेडी की दृण इक्षा शक्ति और नेतृत्व क्षमता ने यह असंभव कार्य संभव कर दिखाया।

बस इसी प्रकार कई देशों की विफलता दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने की रही और हमारे द्वारा भी 2019 ने इसरों के अध्यक्ष के .शिवन की अध्यक्षता मे ज़ब विफल हुए तो हमने पुनः असफलता से सीख लेकर तैयार की और नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व क्षमता के भीतर इस बार असंभव से दिखने बाले लक्ष्य को भेद दिया। यहाँ सफलता दर्शाती है कि दृण संकल्प और श्रेष्ठ नेतृत्व विकास के साथ नये शोध का भी आधार बन सकते हैं। बाकई यह चंद्रयान -3 की सफलता देश और विश्व के लिए बड़ी उपलब्धि हैं और कई मायनों से महत्वपूर्ण भी... 🇮🇳🙏🙏

Comments

  1. नमस्कार जी सही बात देश और विश्व के लिए बहुत बड़ी सफलता है और इस चंद्रयान 3नें मानव जीवन में एक नया उत्साह और ऊर्जा प्रदान की बहुत-बहुत बधाई

    ReplyDelete

Post a Comment

please do not enter any spam link in the comment box.

Popular posts from this blog

मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या हैं....??

मन व उसके आयाम...